खैट परियों का देश
परियों की कहानियां बचपन में तो आपने जरूरी पढ़ी और सुनी होगी। कहते हैं परियां बहुत ही सुंदर होती हैं और जिन पर मेहरबान हो जाएं उसे मालामाल बना देती हैं। इंसानों से इनके प्रेम के किस्से भी पहड़ों पर सुनाए जाते हैं। तो किस्सों की दुनिया से आगे निकलते हुए एक ऐसी जगह की ओर चलते हैं जहां आज भी लोग परियों और वनदेवियों को देखने का दावा करते हैं। परियों की हसीन दुनिया में हम जहां आपको लेकर जा रहे हैं वह दिल्ली से बहुत दूर नहीं है। उत्तराखंड के ऋषिकेश से आप सड़क मार्ग से गढ़वाल जिले के फेगुलीपट्टी के थात गॉव तक किसी सवारी से पहुंच सकते हैं। यहां से पैदल परियों की नगरी तक यात्रा करनी पड़ती है।
विकास का प्रस्ताव धूल खा रहा
वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार में पर्यटन विभाग ने खैट पर्वत पर सुविधाओं के विकास के लिए ढाई करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा था। लेकिन, प्रस्ताव शासन में धूल खा रहा है। प्रस्ताव पर सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया।
यह है मान्यता
स्थानीय लोगों की मानें तो यहां पर देवस्थान होने के कारण परियां खेलने के लिए आती थी, उन्होंने ही अपने खेल के लिए यहां पर गुफा और ओखलियां बनाई। परियों के यहां आने के कारण मान्यता थी कि अगर कोई इंसान वहां चला जाए तो परियां उसे अपने साथ ले जाती थी।
परियों को नहीं है पसंद
परियों को चटकीला रंग, शोर और तेज संगीत पसंद नहीं है इसलिए यहां इन बातों की मनाही है। यहां एक जीतू नाम के व्यक्ति की कहानी भी काफी चर्चित है। कहते हैं जीतू की बांसुरी की तान पर आकर्षित होकर परियां उसके सामने आ गईं और उसे अपने साथ ले गईं।
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